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Why are many Indian Muslims seen as untouchable?

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Image copyright AFP Image caption Untouchability among Muslims is rarely discussed Untouchability is worse than slavery, said Dr Bhimrao Ambedkar, one of India's greatest statesmen and the undisputed leader of the country's Dalits. Dalits (formerly known as untouchables) are some of the republic's most wretched citizens because of an unforgiving Hindu caste hierarchy that condemns them to the bottom of the heap. Although untouchability among Hindus is widely documented and debated, its existence among India's Muslims is rarely discussed. One reason possibly is that Islam does not recognise caste, and promotes equality and egalitarianism. Most of India's 140 million Muslims are descended from local converts. Many of them converted to Islam to escape Hindu upper-caste oppression. 'Lived reality' Their descendants form the overwhelming majority - 75% - of the present Indian Muslim population, and they are called the  Dalit Muslims , according ...

सुकन्‍या समृद्धि खाता: बालिकाओं के सु‍रक्षित भविष्‍य की प्रतिबद्धता

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लड़कों को प्राथमिकता देने वाली रुढि़वादी और गलत मानसिकता के कारण कुछ लोग कन्‍या भ्रूण हत्‍या कर देते हैं। इसके कारण देश में लैंगिक अनुपात में असमानता पैदा होती है। 2011 की जनगणना के अनुसार बाल लिंग अनुपात 914 दर्ज किया गया, जो स्‍वतंत्रता के बाद न्‍यूनतम है।       संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इसी वर्ष जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी, उसमें इस स्थिति को  ‘ आपातकालीन ’   के रूप में उल्‍लेखित किया गया है। रिपोर्ट में इसका कारण देश में अवैध रूप से किए जाने वाले गर्भपात को बताया गया था।       रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि देश के समाजिक ढांचे में पुरुषों के बर्चस्‍व को रोकने के लिए तुरंत उपाय किए जाने चाहिए। इसके लिए स्‍कूली और उच्‍च शिक्षा को महत्‍पूर्ण घटक के रूप में पेश किया गया था ताकि लोग लिंग अनुपात के प्रति जागरुक हो सकें।       जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने  ‘ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ’   योजना शुरू की, जिसका उद्देश्‍य लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता में सकारात्‍मक परिवर्तन लाना है ताकि ल...

कहां बंटा होता है दिमाग का सर्वर

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हम रोज़ाना बहुत से ऐसे काम करते हैं जिनके लिए हमें कोई मशक़्क़त नहीं करनी पड़ती. जैसे सुबह उठकर ब्रश करना, चाय पीना, अख़बार पढ़ना. रोज़ करने से हमें कुछ कामों की ऐसी आदत पड़ जाती है कि इनमें ज़रा भी दिमाग़ नहीं लगाना पड़ता. हम ये काम कैसे, कब करने लगते हैं, हमारे दिमाग़ के सर्वर में ये बात अच्छे से फ़ीड हो जाती है. कई बार कुछ काम तो ऐसे होते हैं जिन्हें हम आंखें बंद करके भी निपटा सकते हैं जैसे सांस लेना, पानी पीना. दिमाग़ के भीतर फैले तंत्रिकाओं के जाल, हमारी इन आदतों को काबू करते हैं. वहीं कुछ नए काम करने के लिए, नई आदत डालने के लिए हमारे दिमाग़ को काफ़ी मशक़्क़त करनी पड़ती है. रोज़ाना की प्रैक्टिस से हम इन नई चीज़ों की आदत डाल लेते हैं. कम वक़्त लगता है. वैज्ञानिकों ने हमारे दिमाग़ के काम करने को दो हिस्सों में बांटा है. चेतन दिमाग़ या कॉन्शस माइंड और अवचेतन मन. जो काम हम रोज़ाना करते हैं वो हमारे अवचेतन मन में अच्छे से बैठ जाते हैं. वहीं किसी भी नए काम को करने के लिए हमारे कॉन्शस माइंड को मेहनत करनी पड़ती है. दुनिया भर में कई वैज्ञानिक ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ...

ज़करबर्ग दुनिया बदलना चाहते हैं या पैसा कमाना

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Image copyright Getty Images 31 साल के मार्क ज़करबर्ग दुनिया के सबसे अमीर और ताकतवर युवा हैं, लेकिन अब भी उन्हें लगता है कि उन्हें ठीक से नहीं समझा गया. ये बार्सिलोना में मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस के दौरान एक पत्रकार से 60 मिनट तक ज़करबर्ग की हुई बातचीत का लब्बोलुआब है. भारत में फ़्री बेसिक्स योजना के तहत लाखों लोगों के लिए पहली बार इंटरनेट मुहैया कराने की फ़ेसबुक की योजना को झटका लगा है. फ़ेसबुक की योजना को नेट न्यूट्रैलिटी के ख़िलाफ़ समझा गया. मार्क ज़करबर्ग ने इसे एक निराशाजनक कदम बताया और कहा कि इसने मुझे सिखाया कि, "हर देश अलग होता है." उनका मानना है कि दुनिया को बदलने के उनके मिशन को आम तौर पर ग़लत समझा गया. उन्होंने कहा, "बहुत सारे लोगों को लगता है कि कंपनियों को किसी और बात की परवाह नहीं, सिर्फ पैसा कमाने के बारे में वो सोचती हैं. " फिर इसके बाद उन्होंने फ़ेसबुक को शुरू करने के पीछे अपने मक़सद के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि फ़ेसबुक बनाने की उनकी कोई मंशा नहीं थी, वो तो हॉर्वड में लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना चाहते थे और तब उन्हें...

ऐसी दिखती थीं भारत की महारानियां

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Image copyright Courtesy Amar Mahal Museum Library Tasveer Image caption राजकुमारी रमा राज्य लक्ष्मी राणा. पूर्व कुलनाम श्रीश्री अधिराजकुमारी रमा राज्य लक्ष्मी देवी (नेपाल) भारत की आज़ादी के साथ ही यहां के शाही ख़ानदानों ने अपनी ताक़त गंवा दी, लेकिन आज भी इनके बारे में लोगों की उत्सुकता बरक़रार है. इतिहास महाराजाओं के इर्द-गिर्द घूमता रहा है और इनमें से अधिकांश आज भी बहुत सम्पन्न और प्रभावशाली हैं. हालांकि जयपुर की महारानी गायत्री देवी जैसी कई प्रमुख महारानियां रही हैं, जिन्होंने भारत में लड़कियों की शिक्षा को काफी बढ़ावा दिया और वो 'वोग' फैशन पत्रिका की सबसे सुंदर महिलाओं में शुमार रहीं. बावजूद इसके भारत की शाही महिलाएं आम तौर पर गुमनाम ही रहीं और उनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. अब एक फ़ोटोग्राफ़ी स्टूडियो 'तस्वीर' अपनी दसवीं सालगिरह के अवसर पर उन्हें सामने लाने की कोशिश कर रहा है. स्टूडियो ने भारतीय महारानियों और राजकुमारियों की तस्वीरें जमा की हैं और 'महारानीः वुमेन ऑफ़ रॉयल इंडिया' नाम से एक प्रदर्शनी लगाई है. 'तस्वीर' का कहना ...

खजुराहोः मूर्तियां ऐसी मानो अभी बोल पड़ेंगी

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मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित खजुराहो देश के मुख्य और सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. अपने खूबसूरत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो शिल्प के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय नृत्य समारोह के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. Image copyright PREETI MANN इन विश्व प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं ने सन् 950-1050 के बीच करवाया था. पहले इसका नाम 'खर्जुरवाहक' था, जो आगे चलकर 'खजुराहो' के नाम से प्रसिद्ध हुआ. सभी भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों का जन्म मंदिरों से हुआ है क्योंकि नृत्य का मुख्य उद्देश्य ईश्वर भक्ति था. Image copyright PREETI MANN आगे चलकर यह नृत्य राजदरबारों में किया जाने लगा पर तब भी इनमें देवताओं की कहानियों को ही दर्शाया जाता था. मंदिरों में नृत्य करने वाली देवदासियों को राज्याश्रय प्राप्त होता था. Image copyright PREETI MANN इस साल 42वें खजुराहो नृत्य समारोह में न केवल शास्त्रीय नृत्य संगम बल्कि कला दीर्घा, नेपथ्य और देशज कला परंपरा के कला मेले ने भी लोगों को आकर्षित किया. भारतीय शास्त्रीय नृत्यों पर आधारित इस महोत्सव की शुर...