खजुराहोः मूर्तियां ऐसी मानो अभी बोल पड़ेंगी
मध्यप्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित खजुराहो देश के मुख्य और सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.
अपने खूबसूरत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो शिल्प के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय नृत्य समारोह के लिए भी आकर्षण का केंद्र है.
इन विश्व प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं ने सन् 950-1050 के बीच करवाया था. पहले इसका नाम 'खर्जुरवाहक' था, जो आगे चलकर 'खजुराहो' के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
सभी भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों का जन्म मंदिरों से हुआ है क्योंकि नृत्य का मुख्य उद्देश्य ईश्वर भक्ति था.
आगे चलकर यह नृत्य राजदरबारों में किया जाने लगा पर तब भी इनमें देवताओं की कहानियों को ही दर्शाया जाता था. मंदिरों में नृत्य करने वाली देवदासियों को राज्याश्रय प्राप्त होता था.
इस साल 42वें खजुराहो नृत्य समारोह में न केवल शास्त्रीय नृत्य संगम बल्कि कला दीर्घा, नेपथ्य और देशज कला परंपरा के कला मेले ने भी लोगों को आकर्षित किया.
भारतीय शास्त्रीय नृत्यों पर आधारित इस महोत्सव की शुरुआत खजुराहो में 1976 में हुई. तब से अब तक यह नृत्य समारोह हर वर्ष फ़रवरी-मार्च माह में आयोजित किया जाता है.
पहले यह नृत्य समारोह मंदिर प्रांगण में ही किया जाता था पर 1986 में यूनेस्को द्वारा इन मंदिरों को 'विश्व धरोहर स्थल' घोषित किए जाने के बाद यह समारोह मंदिर के नजदीकी मैदान में आयोजित किया जाने लगा.
ये मंदिर मध्युगीन भारत की शिल्प और वास्तुकला के बेहतरीन नमूने हैं. यहाँ दूर-दूर फैले मंदिरों की दीवारों पर देवताओं और मानव आकृतियों का अंकन इतना भव्य हुआ है कि पर्यटक मंत्रमुग्ध रह जाते हैं.
कहा जाता है चंदेल राजाओं ने 84 खूबसूरत मंदिरों का निर्माण कराया था जिसमें से अब तक 22 मंदिरों की ही खोज हो पायी है. ये मंदिर शैव, वैष्णव और जैन सम्प्रदायों से संबंधित हैं.
भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा बहुत समृद्ध है. नृत्य में नौ रसों की अभिव्यक्ति को दर्शक महसूस कर सकते हैं.
खजुराहो की मूर्तियों में एक ख़ास बात यह है कि इनमें गति है. लगातार देखते रहिए तो अहसास होता है ये चल रही हैं या अभी बोल पड़ेंगी.
ये मंदिर बलुआ पत्थर से निर्मित किए गए हैं पर कुछ मंदिरों में ग्रेनाइट का भी इस्तेमाल हुआ है.
अंतरराष्ट्रीय महत्व का सात दिवसीय खजुराहो नृत्य समारोह भारतीय शास्त्रीय नृत्य का सबसे बड़ा समारोह है.
इसमें नृत्य की सभी विधाओं जैसे ओडिसी, भरतनाट्यम, मणिपुरी, मोहिनीअट्टम आदि के कलाकार भाग लेते हैं.
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