सुकन्या समृद्धि खाता: बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य की प्रतिबद्धता
लड़कों को प्राथमिकता देने वाली रुढि़वादी और गलत मानसिकता के कारण कुछ लोग कन्या भ्रूण हत्या कर देते हैं। इसके कारण देश में लैंगिक अनुपात में असमानता पैदा होती है। 2011 की जनगणना के अनुसार बाल लिंग अनुपात 914 दर्ज किया गया, जो स्वतंत्रता के बाद न्यूनतम है। संयुक्त राष्ट्र ने इसी वर्ष जो रिपोर्ट प्रकाशित की थी, उसमें इस स्थिति को ‘ आपातकालीन ’ के रूप में उल्लेखित किया गया है। रिपोर्ट में इसका कारण देश में अवैध रूप से किए जाने वाले गर्भपात को बताया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि देश के समाजिक ढांचे में पुरुषों के बर्चस्व को रोकने के लिए तुरंत उपाय किए जाने चाहिए। इसके लिए स्कूली और उच्च शिक्षा को महत्पूर्ण घटक के रूप में पेश किया गया था ताकि लोग लिंग अनुपात के प्रति जागरुक हो सकें। जनवरी 2015 में केंद्र सरकार ने ‘ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ’ योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य लड़कियों के प्रति लोगों की मानसिकता में सकारात्मक परिवर्तन लाना है ताकि लड़कियों के साथ भेद-भाव समाप्त हो सके। इस योजना के जरिये सरकार देश के लोगों को जागरुक कर रही ह